Tuesday, January 6, 2009

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं

तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी, हैरान हूँ मैं
ओ हैरान हूँ मैं
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूँ मैं
ओ परेशान हूँ मैं
जीने के लिये सोचा ही नहीं, दर्द सम्भालने होंगे
मुस्कुरायें तो, मुस्कुराने के कर्ज़ उतारने होंगे
मुस्कुराऊँ कभी तो लगता है
जैसे होंठों पे कर्ज़ रखा है
तुझसे ...
ज़िन्दगी तेरे ग़म ने हमें रिश्ते नये समझाये
मिले जो हमें धूप में मिले छाँव के ठंडे साये
(music for these lines!)
ओ तुझसे ...


आज अगर भर आई हैं, बूँदें बरस जायेंगी
कल क्या पता इनके लिये आँखें तरस जायेंगी
जाने कब गुम हुआ कहाँ खोया
एक आँसू छुपाके रखा था
तुझसे ...


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